गीत
तेरी तालाश में मैं आज भी हूँ
उसी प्यास में मैं आज भी हूँ
नहीं रहती सदा साथ परछाईयाँ
महफ़िल में भी होती थी तन्हाईयाँ
उसी कारवां में मैं आज भी हूँ
तेरी तालाश में मैं आज भी हूँ
बेखुदी में तेरे करता रहा सफ़र
तस्सव्वर में तेरे कटता रहा सफ़र
ख़ुदी से हूँ खुश, नाराज़ भी हूँ
तेरी तालाश में मैं आज भी हूँ
मैं खाखसार तू चमकता सितारा
मैं खोई सी मौज़ तू बहता किनारा
एक खुली किताब और राज़ भी हूँ
तेरी तालाश में मैं आज भी हूँ
भटकता हूँ तेरी राह में सितमगर
ढूंढ़ता तेरे निशान को यूँ दर बदर
एक दबी सी आह आवाज़ भी हूँ
तेरी तालाश में मैं आज भी हूँ
आरज़ू-ए-अर्जुन
तेरी तालाश में मैं आज भी हूँ
उसी प्यास में मैं आज भी हूँ
नहीं रहती सदा साथ परछाईयाँ
महफ़िल में भी होती थी तन्हाईयाँ
उसी कारवां में मैं आज भी हूँ
तेरी तालाश में मैं आज भी हूँ
बेखुदी में तेरे करता रहा सफ़र
तस्सव्वर में तेरे कटता रहा सफ़र
ख़ुदी से हूँ खुश, नाराज़ भी हूँ
तेरी तालाश में मैं आज भी हूँ
मैं खाखसार तू चमकता सितारा
मैं खोई सी मौज़ तू बहता किनारा
एक खुली किताब और राज़ भी हूँ
तेरी तालाश में मैं आज भी हूँ
भटकता हूँ तेरी राह में सितमगर
ढूंढ़ता तेरे निशान को यूँ दर बदर
एक दबी सी आह आवाज़ भी हूँ
तेरी तालाश में मैं आज भी हूँ
आरज़ू-ए-अर्जुन
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