ग़ज़ल
ज़िंदगी का सामना करके मुस्कुराता कौन है
तरन्नुम में है ज़िंदगी पर गुनगुनाता कौन है
है तमाशाई सभी हर ज़गह हर मोड़ पर यहाँ
अब दिल के शालों को दिखलाता कौन है
है मोहब्बत की आरज़ू भी कई जन्मों तक
पर चार दिन की वफ़ा भी निभाता कौन है
अब कौन सा रिश्ता पाक रह गया जहाँ में
आँख मूँद कर बेटी का हाथ पकड़ाता कौन है
हमने तो उम्र गुज़ार दी उसे अपना कहकर
आज बेसबब किसी को अपना बनाता कौन है
चार खानो में बाँट रखा है धर्मों को हमने
है सबका मालिक एक पर बताता कौन है
कभी रूह में समा जाते थे प्यार में आरज़ू
आज आँखों में भी फ़क़त समाता कौन है
आरज़ू-ए-अर्जुन
ज़िंदगी का सामना करके मुस्कुराता कौन है
तरन्नुम में है ज़िंदगी पर गुनगुनाता कौन है
है तमाशाई सभी हर ज़गह हर मोड़ पर यहाँ
अब दिल के शालों को दिखलाता कौन है
है मोहब्बत की आरज़ू भी कई जन्मों तक
पर चार दिन की वफ़ा भी निभाता कौन है
अब कौन सा रिश्ता पाक रह गया जहाँ में
आँख मूँद कर बेटी का हाथ पकड़ाता कौन है
हमने तो उम्र गुज़ार दी उसे अपना कहकर
आज बेसबब किसी को अपना बनाता कौन है
चार खानो में बाँट रखा है धर्मों को हमने
है सबका मालिक एक पर बताता कौन है
कभी रूह में समा जाते थे प्यार में आरज़ू
आज आँखों में भी फ़क़त समाता कौन है
आरज़ू-ए-अर्जुन
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