चन्द अशआर
टूटे हुए ख्वाबों को जोड़ा है कभी
जोड़ के देखो दरारें मिटती ही नहीं
हाथों की लकीरों पे यक़ीन करते हो
आज बनती है तो कल बनती ही नहीं
किस्मत के सितारों पे कैसा भरोसा
इनकी चाल एक जैसी रहती ही नहीं
खुद को समंदर बना लिया तो क्या होगा
प्यास किसी की इससे बुझती ही नहीं
खुद को बाँट दिया है 'दो नो'(29) भागो में
अब भारत की तस्वीर एक बनती ही नहीं
है हर नौजवान आधुनिक तकनीक सा
फिर भी ज़िंदगी की राह मिलती ही नहीं
हर तालीम से बेटियों को नवाज़ा है आज
पर मलाला कल्पना विलियम बनती ही नहीं
बेटे के जन्म पे इतने खुश हो आज तुम
सबकी सीरत श्रवण से मिलती ही नहीं
माफ़ करना मालिक नासमझ है आरज़ू
ज़ुबाँ की बात मेरी कलम लिखती ही नहीं
आरज़ू-ए-अर्जुन
टूटे हुए ख्वाबों को जोड़ा है कभी
जोड़ के देखो दरारें मिटती ही नहीं
हाथों की लकीरों पे यक़ीन करते हो
आज बनती है तो कल बनती ही नहीं
किस्मत के सितारों पे कैसा भरोसा
इनकी चाल एक जैसी रहती ही नहीं
खुद को समंदर बना लिया तो क्या होगा
प्यास किसी की इससे बुझती ही नहीं
खुद को बाँट दिया है 'दो नो'(29) भागो में
अब भारत की तस्वीर एक बनती ही नहीं
है हर नौजवान आधुनिक तकनीक सा
फिर भी ज़िंदगी की राह मिलती ही नहीं
हर तालीम से बेटियों को नवाज़ा है आज
पर मलाला कल्पना विलियम बनती ही नहीं
बेटे के जन्म पे इतने खुश हो आज तुम
सबकी सीरत श्रवण से मिलती ही नहीं
माफ़ करना मालिक नासमझ है आरज़ू
ज़ुबाँ की बात मेरी कलम लिखती ही नहीं
आरज़ू-ए-अर्जुन
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