" तेरी ओर "
फिज़ाओ में खेलती
तेरी खिलखिलाती सी हसी
और कलियों सा महकता
ये मखमली सा बदन
पैरों से खेलते तेरी पायल के घुंघरू
और कलाइयों पे खनकते
ये कांच के कंगन
बेलों की तरह लिपटा ये तेरा आँचल
और शोर मचाता हुआ
तेरे दिल का स्पंदन
एक नशे के समंदर को बांधता ये काजल
और चन्द्र हास् सा तेरे कानो का कुण्डल
नागमणि सी चमकती
तेरे माथे की बिंदिया
बालों में सिमटा कोई बादलों का जमघट
हिरणी सी चाल बल खाती सी कमर
हसे तो लगे नदी से झरने का हो संगम
रात दिन सी लगे
तेरी झुकती उठती सी पलकें
और सुराही दार तराशी सी गर्दन
आँखें खोलूं तो सामने तू है
आँखें बंद करूँ तो सामने तू है
इन बहारों में इन नज़ारों में
और इन लहरों में बस तू ही तू है
हर घडी दिल में सुनता हूँ एक शोर
मैं चल रहा हूँ....
बस.. तेरी ओर..तेरी ओर.... तेरी ओर .
आरज़ू-ए-अर्जुन
फिज़ाओ में खेलती
तेरी खिलखिलाती सी हसी
और कलियों सा महकता
ये मखमली सा बदन
पैरों से खेलते तेरी पायल के घुंघरू
और कलाइयों पे खनकते
ये कांच के कंगन
बेलों की तरह लिपटा ये तेरा आँचल
और शोर मचाता हुआ
तेरे दिल का स्पंदन
एक नशे के समंदर को बांधता ये काजल
और चन्द्र हास् सा तेरे कानो का कुण्डल
नागमणि सी चमकती
तेरे माथे की बिंदिया
बालों में सिमटा कोई बादलों का जमघट
हिरणी सी चाल बल खाती सी कमर
हसे तो लगे नदी से झरने का हो संगम
रात दिन सी लगे
तेरी झुकती उठती सी पलकें
और सुराही दार तराशी सी गर्दन
आँखें खोलूं तो सामने तू है
आँखें बंद करूँ तो सामने तू है
इन बहारों में इन नज़ारों में
और इन लहरों में बस तू ही तू है
हर घडी दिल में सुनता हूँ एक शोर
मैं चल रहा हूँ....
बस.. तेरी ओर..तेरी ओर.... तेरी ओर .
आरज़ू-ए-अर्जुन
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