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" अपनी किताबें हटा कर देख "

" अपनी किताबें हटा कर देख " 

इस रात के घेरे में रंग है कितने
तितलियों के परों पे रंग है जितने
हर कोना महका सा ठहरा सा कहीं
एक ही ज़ज़्बात को लिए दूर तक बिखरा कहीं
पत्तों पे ठहरी ये ओंस की बूंदे
चुपके से ठहरी पलकों को मूंदे
और हवा के झोंके से काँपता सा दिल
जुगनुओं की  रौशनी होती झिलमिल
फ़िज़ाओं में बिखरी खुशबू रजनीगंधा की 
चंचल सी चांदनी अलबेले चंदा की
और ताल मिलाते झींगुरों की आवाज़े 
पत्तों की सरसराहट और पंछियों की परवाज़े
कितना सुकून है रात की आवारगी में कहीं
गहरे राज़ छिपा रखे है जैसे किसी ने यहीँ
उस कुटिया की मुंडेर पे रौशनी की तरंगे
ख़ुशी से जशन मनाते रौशनी में कीट पतंगे
दिन की थकन से परे दिल गुनगुनाता है रात में
इन्ही लहरों, हवाओं और झींगुरों के साथ में
आँखों पे लगे मोटे चश्मे साफ़ देख नहीं पाते जिन्हें 
फिर ये बंद सी पलके कैसे देख लेती है उन्हें
हम उलझे रहते है किताबों की उलझनों में कभी
यां दौड़ रहे है दुनिया के पीछे पीछे कहीं
पर मिलता नहीं सुकून मंजिल पे भी कहीं
 इस चार दिन की चांदनी को भूलें अब नहीं
है छिपी ये रौशनी कहाँ?
रात दिन के पर्दों को गिरा के देख
ज़िंदगी के रहस्य मिलेंगे कहाँ
ज़रा अपनी ये किताबों को हटा के देख. 

आरज़ू-ए-अर्जुन 

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Aaj ke yoga divas par meri ye rachna..          चलो योग करें एक  काम सभी  हम रोज़ करें योग   करें   चलो   योग   करें भारत  की  पहचान   है   यह वेद-पुराण  का  ग्यान  है  यह स्वस्थ   विश्व   कल्याण   हेतु जन जन का अभियान है यह सीखें    और     प्रयोग    करें योग   करें   चलो   योग   करें मन  को निर्मल  करता  है यह तन को  कोमल  करता है यह है  यह  उन्नति  का  मार्ग  भी सबको  चंचल  करता  है  यह बस  इसका  सद  उपयोग करें योग   करें   चलो    योग   करें पश्चिम   ने   अपनाया   इसको सबने   गले   लगाया    इसको रोग  दोष   से  पीड़ित  थे  जो राम  बाण  सा  बताया  इसको सादा    जीवन   उपभोग   करें योग   करें    चलो   योग   करें आरज़ू-ए-अर्जुन

"ਖਜੂਰ ਦਾ ਰੁਖ " ( in punjabi)

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