" ख्वाबों का भँवर "
इलाज़ता है दिल उन जख्मो को
जो फ़ुरक़त के लम्हों में मिले थे
कभी रात की चादर में हमने भी
कई सितारे जड़े थे
आज वो चमकता सा सितारा
पूछता है क्यों ? अभी तक सोये नहीं ?
पर क्या बताऊँ उस मासूम से दोस्त को
अब ख़्वाब देखने से डरता है दिल
फिर, मेरी उलझन से निकल कर
एक ख्वाब मुझसे कहता है
हम दोनों ही अधूरे है एक दूजे के बिना
चलो इस अंजुमन से दूर कहीं
एक दूसरे को सँवारते है
तुम मुझमे फिर से रंग भरना
और मैं तेरी दुनिया खुशरंग बनाउंगी
फ़क़त क्यों सोचता है उसकी बातों को ये दिल
वो कहता है, "क्योकि ख्वाब देखने के लिए
आँखों की जरूरत नहीं होती है "
ख्वाब तो उनके भी पूरे होते है
जिनकी आँखे नहीं होती
तक़दीर तो उनकी भी होती है
जिनके हाथ नहीं होते और
मंजिल पे वो भी पहुँचते है
जिनके पाँव नहीं होते।
खैर! मेरे उलझनों के भंवर में
मेरे ख्वाब गोते लगाते रहे
न मैं इस भॅवर से उभर सका
न मेरे ख़्वाब इसमें डूब सके
पर मुसलसल मेरे ख़्वाब
आज भी मुझसे सवाल जवाब करते है
एक चाहत फिर से होने लगी है
अब फिर से ख्वाब देखना चाहता है दिल
आरज़ू-ए-अर्जुन
इलाज़ता है दिल उन जख्मो को
जो फ़ुरक़त के लम्हों में मिले थे
कभी रात की चादर में हमने भी
कई सितारे जड़े थे
आज वो चमकता सा सितारा
पूछता है क्यों ? अभी तक सोये नहीं ?
पर क्या बताऊँ उस मासूम से दोस्त को
अब ख़्वाब देखने से डरता है दिल
फिर, मेरी उलझन से निकल कर
एक ख्वाब मुझसे कहता है
हम दोनों ही अधूरे है एक दूजे के बिना
चलो इस अंजुमन से दूर कहीं
एक दूसरे को सँवारते है
तुम मुझमे फिर से रंग भरना
और मैं तेरी दुनिया खुशरंग बनाउंगी
फ़क़त क्यों सोचता है उसकी बातों को ये दिल
वो कहता है, "क्योकि ख्वाब देखने के लिए
आँखों की जरूरत नहीं होती है "
ख्वाब तो उनके भी पूरे होते है
जिनकी आँखे नहीं होती
तक़दीर तो उनकी भी होती है
जिनके हाथ नहीं होते और
मंजिल पे वो भी पहुँचते है
जिनके पाँव नहीं होते।
खैर! मेरे उलझनों के भंवर में
मेरे ख्वाब गोते लगाते रहे
न मैं इस भॅवर से उभर सका
न मेरे ख़्वाब इसमें डूब सके
पर मुसलसल मेरे ख़्वाब
आज भी मुझसे सवाल जवाब करते है
एक चाहत फिर से होने लगी है
अब फिर से ख्वाब देखना चाहता है दिल
आरज़ू-ए-अर्जुन
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