नमन साथियो
मुक्तक पेश हैं ...
1.
नियम से जो बंधे थे कल उन्हें आजा़द कर डाला
चला कर गोलियां भूधर पे उनको खाद कर डाला
हवाला, कोयला, चारा था, खेलों में घोटाले अब
सियासत ने वतन को लूटकर बर्बाद कर डाला
2.
हुए कुर्सीनशीं तो क्या वो खुद को क्या समझते हैं
बनीं जब जान पे पतली गली से वो निकलते हैं
ज़रूरी तो नहीं है ये टिकें वो पांच सालों तक
बिठाया तख्त पे जिसने उन्हीं से क्यों उलझते हैं
3.
वतन के बागबां हो तुम कली, गुन्चा न मुर्झाये
मिटे ये तिश्नगी सबकी निवाला मुख तलक आये
न पंखे से कोई झूले, न खाये जह्र अब कोई
जो जिस काबिल वतन में है उसे वोकाम मिल जाये
आरज़ू
मुक्तक पेश हैं ...
1.
नियम से जो बंधे थे कल उन्हें आजा़द कर डाला
चला कर गोलियां भूधर पे उनको खाद कर डाला
हवाला, कोयला, चारा था, खेलों में घोटाले अब
सियासत ने वतन को लूटकर बर्बाद कर डाला
2.
हुए कुर्सीनशीं तो क्या वो खुद को क्या समझते हैं
बनीं जब जान पे पतली गली से वो निकलते हैं
ज़रूरी तो नहीं है ये टिकें वो पांच सालों तक
बिठाया तख्त पे जिसने उन्हीं से क्यों उलझते हैं
3.
वतन के बागबां हो तुम कली, गुन्चा न मुर्झाये
मिटे ये तिश्नगी सबकी निवाला मुख तलक आये
न पंखे से कोई झूले, न खाये जह्र अब कोई
जो जिस काबिल वतन में है उसे वोकाम मिल जाये
आरज़ू
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