आरज़ू फकीर के दोहे
नमन सबको
सत्ता के आकाश पर, कागा अब मंडराए
वोट दिया जब काग को, हंस कहां से आए
झूठ को बोलूँ सत्य मैं, सत्य को बोलूँ झूठ
सत्य अगर मैं बोल दूं , ये जग जाये रूठ
भूधर जलता खेत में, खून पसीना होय
माटी माटी हो गया, जग से मिला क्या तोय
दो निवाले अन्न को, तरसे हैं कुछ पेट
कुछ तारे गिन के सो गये,कुछ आंसू पी के लेट
पंछी के जब पर हुए, उड़ा छोड़ कर नीड़
जिसने उसको पर दिए, भूला उसकी पीड़
कहता है ये आरज़ू, सुनो लगा कर ध्यान
गुण बक्शा भगवान ने, मत करना अभिमान
आरज़ू (फकीरा)
नमन सबको
सत्ता के आकाश पर, कागा अब मंडराए
वोट दिया जब काग को, हंस कहां से आए
झूठ को बोलूँ सत्य मैं, सत्य को बोलूँ झूठ
सत्य अगर मैं बोल दूं , ये जग जाये रूठ
भूधर जलता खेत में, खून पसीना होय
माटी माटी हो गया, जग से मिला क्या तोय
दो निवाले अन्न को, तरसे हैं कुछ पेट
कुछ तारे गिन के सो गये,कुछ आंसू पी के लेट
पंछी के जब पर हुए, उड़ा छोड़ कर नीड़
जिसने उसको पर दिए, भूला उसकी पीड़
कहता है ये आरज़ू, सुनो लगा कर ध्यान
गुण बक्शा भगवान ने, मत करना अभिमान
आरज़ू (फकीरा)
Comments
Post a Comment