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Ye koun hai....

"ये कौन है "

ये कौन है !
जो परिंदों से पहले उठ गया है,
जिसके पैरों की टापों से
सोये पड़े झिंगुर डर गए हैं,
उस खामोश से कोने में क्या
सरसराहट शुरू हो गई है,
ये दराती, कुदाल किससे
सरगोशी कर रही है,

ये  कौन है जो नंगे पांव
चला जा रहा है, चला जा रहा है..

बेताब सा दिल,  बेचैन निगाहें,
और पुतलियों में समय को
पार करने की बेकली, क्यारी
क्यारी को निहारता ये कौन
चला जा रहा है, चला जा रहा है..

गुसैल दराती, मिट गई, छुप गई
लकीरों वाले हाथों में पड़ी
खरपतवार पे चंडी की तरह सवार है,
कुदाल मज़बूत कलाईयों में जकड़ कर
धरती पर कौन सी रेखाएं खींच रहा है..

ये कौन है !
जो तारों की दुधिया रौशनी में
ज़मीन सींच रहा है..
ये कौन है !
जो मिट्टी में तकदीर ढूँढ रहा है
ये कौन है !
जो परिंदों से पहले उठ गया है
ये कौन है!
जो सूरज से पहले उठ गया है

आरज़ू-ए-अर्जुन

Comments

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