आदाब
अंजुमन में रहे अजनबी आज फिर
बात दिल की रही अनकही आज फिर
हम छुपाते रहे पर छुपा न सके
आंखों में आ गई थी नमी आज फिर
वो अदा फिर दिखा दे मुझे हमनशीं
दिल मचल जाये हो बेकली आज फिर
लाख़ दिल में हों ग़म फिर भी हँसना पड़े
क्यों है मज़बूर ये आदमी आज फिर
आंख रोती रही दिल सुलगता रहा
हर किसी की सही बेरुखी़ आज फिर
देश को फिर बनाने लगे क़त्लगाह्
है ज़रूरत भगत सिंहकी आज फिर
चार पैसे कमाने को निकला बशर
साथ लाया वही बेबसी आज फिर
लग रही थी संवर जाएगी 'आरज़ू'
क्या से क्या हो गई ज़िंदगी आज फिर
आरज़ू-ए-अर्जुन
अंजुमन में रहे अजनबी आज फिर
बात दिल की रही अनकही आज फिर
हम छुपाते रहे पर छुपा न सके
आंखों में आ गई थी नमी आज फिर
वो अदा फिर दिखा दे मुझे हमनशीं
दिल मचल जाये हो बेकली आज फिर
लाख़ दिल में हों ग़म फिर भी हँसना पड़े
क्यों है मज़बूर ये आदमी आज फिर
आंख रोती रही दिल सुलगता रहा
हर किसी की सही बेरुखी़ आज फिर
देश को फिर बनाने लगे क़त्लगाह्
है ज़रूरत भगत सिंहकी आज फिर
चार पैसे कमाने को निकला बशर
साथ लाया वही बेबसी आज फिर
लग रही थी संवर जाएगी 'आरज़ू'
क्या से क्या हो गई ज़िंदगी आज फिर
आरज़ू-ए-अर्जुन
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