आदाब
खुशी के पल दिखाती है, ग़मों से भी मिलाती है
हमारी ज़िंदगी हरपल हमें बस आज़माती है
हमेशा तीरगी ही हो, ज़रूरी तो नहीं है यह
ख़िजा़ के बाद देखा है, फ़िज़ा भी लौट आती है
कभी वादा न करना तुम, हमेशा कोशिशें करना
ये वादों का भरोसा क्या हमें कोशिश बढ़ाती है
किसी पे भी यकीं यारो न आंखें मूंद कर करना
भरोसा टूटता है जब कमर भी टूट जाती है
बता मुझको मेरे मौला ख़ता मुझसे हुई है क्या
दुआ मेरी न जाने क्यों फ़लक से लौट आती है
बड़ा हैरान होता हूँ अमीरो देख कर तुमको
तुम्हारे ख़ाबगाह की नींद भी तुमको डराती है
सुकूँ की नींद क्या होती कभी बस्ती मेरी आना
टहलते खा़ब हैं छत पे हवा लोरी सुनाती है
ज़मीरों का कभी सौदा नहीं करते किसी से हम
ग़रीबी में हमारी ज़िंदगी भी मुस्कुराती है
झुका हो 'आरज़ू ' कोई उसे ऊँचा उठा देना
किसी को यूं उठाना भी हमें ऊँचा उठाती है
आरज़ू -ए-अर्जुन
खुशी के पल दिखाती है, ग़मों से भी मिलाती है
हमारी ज़िंदगी हरपल हमें बस आज़माती है
हमेशा तीरगी ही हो, ज़रूरी तो नहीं है यह
ख़िजा़ के बाद देखा है, फ़िज़ा भी लौट आती है
कभी वादा न करना तुम, हमेशा कोशिशें करना
ये वादों का भरोसा क्या हमें कोशिश बढ़ाती है
किसी पे भी यकीं यारो न आंखें मूंद कर करना
भरोसा टूटता है जब कमर भी टूट जाती है
बता मुझको मेरे मौला ख़ता मुझसे हुई है क्या
दुआ मेरी न जाने क्यों फ़लक से लौट आती है
बड़ा हैरान होता हूँ अमीरो देख कर तुमको
तुम्हारे ख़ाबगाह की नींद भी तुमको डराती है
सुकूँ की नींद क्या होती कभी बस्ती मेरी आना
टहलते खा़ब हैं छत पे हवा लोरी सुनाती है
ज़मीरों का कभी सौदा नहीं करते किसी से हम
ग़रीबी में हमारी ज़िंदगी भी मुस्कुराती है
झुका हो 'आरज़ू ' कोई उसे ऊँचा उठा देना
किसी को यूं उठाना भी हमें ऊँचा उठाती है
आरज़ू -ए-अर्जुन
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