आदाब
लगेगी हमारी भी किश्ती किनारे
करें जब सफ़र हौसले के सहारे
भरोसा तो खुद पे ही करना पड़ेगा
हथेली पे ग़र चाहते हो सितारे
किसी को नहीं तू बदल दे खुदी को
बदल जाएंगे फिर ये सारे नज़ारे
पिटारी नहीं आस्तीं को टटोलो
वही पे सपोले छुपे होंगे सारे
बड़ा नाज़ करते हो खुद पे समंदर
मेरे अश्क़ हैं आज तुमसे भी खारे
अंधेरा सवेरा सभी हैं बदलते
तो समझा करो हर किसी के इशारे
ज़रा सा अंधेरा दिखा के वो समझे
हुआ आज सूरज लो वश में हमारे
वो नादान हैं, ये समझते नहीं हैं
के मुट्ठी में टिकते नहीं हैं शरारे
अगर सांस भरके भी बेचोगे उनको
वो फिर भी खरीदेंगे गैसी ग़ुब्बारे
ये मंज़िल कहाँ 'आरज़ू' इतनी मुश्किल
हमीं रूक के चलते हैं डर डर के सारे
आरज़ू -ए-अर्जुन
लगेगी हमारी भी किश्ती किनारे
करें जब सफ़र हौसले के सहारे
भरोसा तो खुद पे ही करना पड़ेगा
हथेली पे ग़र चाहते हो सितारे
किसी को नहीं तू बदल दे खुदी को
बदल जाएंगे फिर ये सारे नज़ारे
पिटारी नहीं आस्तीं को टटोलो
वही पे सपोले छुपे होंगे सारे
बड़ा नाज़ करते हो खुद पे समंदर
मेरे अश्क़ हैं आज तुमसे भी खारे
अंधेरा सवेरा सभी हैं बदलते
तो समझा करो हर किसी के इशारे
ज़रा सा अंधेरा दिखा के वो समझे
हुआ आज सूरज लो वश में हमारे
वो नादान हैं, ये समझते नहीं हैं
के मुट्ठी में टिकते नहीं हैं शरारे
अगर सांस भरके भी बेचोगे उनको
वो फिर भी खरीदेंगे गैसी ग़ुब्बारे
ये मंज़िल कहाँ 'आरज़ू' इतनी मुश्किल
हमीं रूक के चलते हैं डर डर के सारे
आरज़ू -ए-अर्जुन
Comments
Post a Comment