आदाब
सताते हैं हमें ग़म तुम कहाँ हो
हुई आंखें भी पुरनम तुम कहाँ हो
बड़े तन्हा से लगते हैं फ़िज़ा में
सबा भी हो गई नम तुम कहाँ हो
कभी सोचा नहीं था हाल ऐसा
हुआ जो आज जानम तुम कहाँ हो
है छीना हर घड़ी लम्हों ने हमको
रहे बिख़रे हुए हम तुम कहाँ हो
जला देती है शबनम आज हमको
* नहीं है आग में दम तुम कहाँ हो
कभी रौनक लबों पे थी हसी की
जो दिखती आज है कम तुम कहाँ हो
सभी ने खींच के मारा है पत्थर
हुआ दुश्मन ये आलम तुम कहाँ हो
कहाँ पे 'आरज़ू ' हो लौट आओ
बहुत तन्हा से हैं हम तुम कहाँ हो
आरज़ू ए-अर्जुन
सताते हैं हमें ग़म तुम कहाँ हो
हुई आंखें भी पुरनम तुम कहाँ हो
बड़े तन्हा से लगते हैं फ़िज़ा में
सबा भी हो गई नम तुम कहाँ हो
कभी सोचा नहीं था हाल ऐसा
हुआ जो आज जानम तुम कहाँ हो
है छीना हर घड़ी लम्हों ने हमको
रहे बिख़रे हुए हम तुम कहाँ हो
जला देती है शबनम आज हमको
* नहीं है आग में दम तुम कहाँ हो
कभी रौनक लबों पे थी हसी की
जो दिखती आज है कम तुम कहाँ हो
सभी ने खींच के मारा है पत्थर
हुआ दुश्मन ये आलम तुम कहाँ हो
कहाँ पे 'आरज़ू ' हो लौट आओ
बहुत तन्हा से हैं हम तुम कहाँ हो
आरज़ू ए-अर्जुन
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