आदाब
मैं सफ़र पे जब रवाना हो गया
सारे जग से मैं बेगाना हो गया.
फिर रहा तन्हा कभी ना दोस्तो
रास्तों. से. दोस्ताना. हो गया
शाम ढ़लते मिल गया था कारवाँ
रात को अच्छा ठिकाना हो गया
ज़िंदगी अब ठीक लगती है बशर
ग़म से नाता जो पुराना हो गया
तोड़ लेता आदमी खुद को यहाँ
वक्त का तो बस बहाना हो गया
हर कोई अंजान एक दूजे से है
अजनबी सा ये ज़माना हो गया
रिसने लगता है कभी माजी मेरा
जख्म दिलका ये पुराना हो गया
हर जगह रोते बिलखते लोग हैं
यार मुश्किल मुस्कुराना हो गया
ज़िंदगी गिरवी पड़ी है मौत के
उम्र भर कर्जा़ चुकाना हो गया
दौड़तें दिन रात रोटी के लिए
खा़ब सा अब चैन पाना हो गया
लौट आता तीर खुदका खुदपे ही
आदमी खुद का निशाना हो गया
घर है अपना पर किरायेदार हैं
आज मुश्किल सर छुपाना हो गया
देख लूं खुद की शकल ऐ आईने
मुस्कुराये एक ज़माना हो गया
हौसला कर सिर उठा के जी ले तू
बस बहुत सर को झुकाना हो गया
ज़िंदगी से 'आरज़ू' मिल खुल के तू
बस बहुत नज़रें चुराना हो गया
आरज़ू -ए-अर्जुन
मैं सफ़र पे जब रवाना हो गया
सारे जग से मैं बेगाना हो गया.
फिर रहा तन्हा कभी ना दोस्तो
रास्तों. से. दोस्ताना. हो गया
शाम ढ़लते मिल गया था कारवाँ
रात को अच्छा ठिकाना हो गया
ज़िंदगी अब ठीक लगती है बशर
ग़म से नाता जो पुराना हो गया
तोड़ लेता आदमी खुद को यहाँ
वक्त का तो बस बहाना हो गया
हर कोई अंजान एक दूजे से है
अजनबी सा ये ज़माना हो गया
रिसने लगता है कभी माजी मेरा
जख्म दिलका ये पुराना हो गया
हर जगह रोते बिलखते लोग हैं
यार मुश्किल मुस्कुराना हो गया
ज़िंदगी गिरवी पड़ी है मौत के
उम्र भर कर्जा़ चुकाना हो गया
दौड़तें दिन रात रोटी के लिए
खा़ब सा अब चैन पाना हो गया
लौट आता तीर खुदका खुदपे ही
आदमी खुद का निशाना हो गया
घर है अपना पर किरायेदार हैं
आज मुश्किल सर छुपाना हो गया
देख लूं खुद की शकल ऐ आईने
मुस्कुराये एक ज़माना हो गया
हौसला कर सिर उठा के जी ले तू
बस बहुत सर को झुकाना हो गया
ज़िंदगी से 'आरज़ू' मिल खुल के तू
बस बहुत नज़रें चुराना हो गया
आरज़ू -ए-अर्जुन
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