आदाब
212*4
याद उनकी सताती रही रात भर
तीर दिल में चुभाती रही रात भर
एक लम्हा भी सोये नहीं हमनशीं
पीड़ तेरी जगाती रही रात भर
साथ मेरे फ़साना तेरे प्यार का
चांदनी गुनगुनाती रही रात भर
हिज़्र की रात में साकी थी बेबसी
जाम मुझको पिलाती रही रात भर
अंजुमन में मैं था,फिर भी तन्हाईयां
पास मुझको बुलाती रही रात भर
एक तस्वीर तेरी दिखी तारों में
प्यास मेरी बुझाती रही रात भर
हर सितारे पे था हर्फ़ तेरा सनम
जो कहानी सुनाती रही रात भर
कितने तन्हा से थे हम भरी बज़्म में
बेबसी आज़माती रही रात भर
ग़मज़दा हो के भी बस लतीफे़ कहे
ज़िंदगी गुदगुदाती रही रात भर
सांस बढ़ती रही 'आरज़ू' की तरह
दर कोई खटखटाती रही रात भर
आरज़ू-ए-अर्जुन
212*4
याद उनकी सताती रही रात भर
तीर दिल में चुभाती रही रात भर
एक लम्हा भी सोये नहीं हमनशीं
पीड़ तेरी जगाती रही रात भर
साथ मेरे फ़साना तेरे प्यार का
चांदनी गुनगुनाती रही रात भर
हिज़्र की रात में साकी थी बेबसी
जाम मुझको पिलाती रही रात भर
अंजुमन में मैं था,फिर भी तन्हाईयां
पास मुझको बुलाती रही रात भर
एक तस्वीर तेरी दिखी तारों में
प्यास मेरी बुझाती रही रात भर
हर सितारे पे था हर्फ़ तेरा सनम
जो कहानी सुनाती रही रात भर
कितने तन्हा से थे हम भरी बज़्म में
बेबसी आज़माती रही रात भर
ग़मज़दा हो के भी बस लतीफे़ कहे
ज़िंदगी गुदगुदाती रही रात भर
सांस बढ़ती रही 'आरज़ू' की तरह
दर कोई खटखटाती रही रात भर
आरज़ू-ए-अर्जुन
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