आदाब
ज़िंदगी भर हम सफ़र करते रहे
हौसले के साथ हम बढ़ते रहे
आंधियों के साथ आईं बिजलियाँ
हर घड़ी हालात से लड़ते रहे
रात दिन का कारवाँ चलता रहा
हम भी लेकर खा़ब को चलते रहे
हम बुझाते ज़िंदगी की प्यास क्या
पेट की ही आग में जलते रहे
कोई पढ़ लेगा मेरे चेहरे पे ग़म
इसलिए ता उम्र हम हसते रहे
हम खड़े थे धूप में बन के शज़र
छांव बांटी और खुद तपते रहे
डालते थे आंखों में तेज़ाब ग़म
सपने फिर भी आंखों में पलते रहे
नाम ज़िंदा रख सकूं अपना यहाँ
यार इसके वास्ते मरते रहे
मौत तो हसके मिली हमको गले
'आरज़ू ' हम खामखा़ डरते रहे
आरज़ू-ए-अर्जुन
ज़िंदगी भर हम सफ़र करते रहे
हौसले के साथ हम बढ़ते रहे
आंधियों के साथ आईं बिजलियाँ
हर घड़ी हालात से लड़ते रहे
रात दिन का कारवाँ चलता रहा
हम भी लेकर खा़ब को चलते रहे
हम बुझाते ज़िंदगी की प्यास क्या
पेट की ही आग में जलते रहे
कोई पढ़ लेगा मेरे चेहरे पे ग़म
इसलिए ता उम्र हम हसते रहे
हम खड़े थे धूप में बन के शज़र
छांव बांटी और खुद तपते रहे
डालते थे आंखों में तेज़ाब ग़म
सपने फिर भी आंखों में पलते रहे
नाम ज़िंदा रख सकूं अपना यहाँ
यार इसके वास्ते मरते रहे
मौत तो हसके मिली हमको गले
'आरज़ू ' हम खामखा़ डरते रहे
आरज़ू-ए-अर्जुन
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