आदाब
जाते जाते दिल को ग़म से भर गया
ख़ुद रूलाया और ख़ुद रोकर गया
ईश्क़ के तूफ़ान में फँसता है जो
लाख़ ख़ुद को वो बचाले पर गया
सर झुकाये बैठे हैं तन्हा से वो
एक झौंका यह मुझे कह कर गया
आज साया भी निभाये दुश्मनी
देखकर हालात को मैं डर गया
रो रहा था हर कोई घर में मगर
जंग पे वो पासबाँ हंसकर गया
चापलूसी आज करना सीख लो
सर उठाओगे तुम्हारा सर गया
सर उठा के कब जिया है वो बशर
डर के इस हालात से जो घर गया
आज हैं हालात ऐसे 'आरज़ू'
लब तेरे ख़ामोश हैं तो तर गया
आरज़ू-ए-अर्जुन
जाते जाते दिल को ग़म से भर गया
ख़ुद रूलाया और ख़ुद रोकर गया
ईश्क़ के तूफ़ान में फँसता है जो
लाख़ ख़ुद को वो बचाले पर गया
सर झुकाये बैठे हैं तन्हा से वो
एक झौंका यह मुझे कह कर गया
आज साया भी निभाये दुश्मनी
देखकर हालात को मैं डर गया
रो रहा था हर कोई घर में मगर
जंग पे वो पासबाँ हंसकर गया
चापलूसी आज करना सीख लो
सर उठाओगे तुम्हारा सर गया
सर उठा के कब जिया है वो बशर
डर के इस हालात से जो घर गया
आज हैं हालात ऐसे 'आरज़ू'
लब तेरे ख़ामोश हैं तो तर गया
आरज़ू-ए-अर्जुन
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