आदाब
किसी से नहीं हम अदावत करेंगे
मिली ज़िंदगी, बस मुहब्बत करेंगे
अगर यार सच्चा मिले तो खुदाया
किसी और की हम न चाहत करेंगे
कहां हुस्न वाले जुबाँ को हिलाते
वो आंखों से सारी शरारत करेंगे
ज़रा सी वफ़ा हमसे करके तो देखो
खुदा की कसम हम इबादत करेंगे
हमें ज़िंदगी से ही लड़ना न आया
तो कैसे किसी से शिकायत करेंगे
जो बरसों से देखा है एक ख़ाब हमने
उसे ज़िंदगी में हकीकत करेंगे
किसी के सगे न हुए हैं न होंगे
सियासत के कीड़े सियासत करेंगे
कुचल दो फ़नो को शुरू में नहीं तो
तुम्हें डसने की वो हिमाकत करेंगे
नहीं जाना काबा नहीं जाना काशी
सदा बाप-माँ की ज़ियारत करेंगे
ये मंजि़ल मिले बस उन्हें आरज़ू अब
जो शोलों पे चलने की हिम्मत करेंगे
आरज़ू-ए-अर्जुन
किसी से नहीं हम अदावत करेंगे
मिली ज़िंदगी, बस मुहब्बत करेंगे
अगर यार सच्चा मिले तो खुदाया
किसी और की हम न चाहत करेंगे
कहां हुस्न वाले जुबाँ को हिलाते
वो आंखों से सारी शरारत करेंगे
ज़रा सी वफ़ा हमसे करके तो देखो
खुदा की कसम हम इबादत करेंगे
हमें ज़िंदगी से ही लड़ना न आया
तो कैसे किसी से शिकायत करेंगे
जो बरसों से देखा है एक ख़ाब हमने
उसे ज़िंदगी में हकीकत करेंगे
किसी के सगे न हुए हैं न होंगे
सियासत के कीड़े सियासत करेंगे
कुचल दो फ़नो को शुरू में नहीं तो
तुम्हें डसने की वो हिमाकत करेंगे
नहीं जाना काबा नहीं जाना काशी
सदा बाप-माँ की ज़ियारत करेंगे
ये मंजि़ल मिले बस उन्हें आरज़ू अब
जो शोलों पे चलने की हिम्मत करेंगे
आरज़ू-ए-अर्जुन
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