आदाब
2122..2122..2122..212
हर घड़ी तन्हा सा रहना, दिल में है सरकार क्या
ज़ुल्फ बरहम, आंख भी नम, हो गया है प्यार क्या
लब तेरे खामोश हैं अब, नब्ज़ भी जैसे रूकी
उखड़े उखड़े लग रहे हो खुद से ही तुम यार क्या
ग़ुरबतों की आंधियों में ख़ाब मेरे सब उड़े
देखना है अब उड़ाती ये हवा इस बार क्या
अब यहाँ हर घर की हालत, सुर्खियों सी बन गई
मुफ़लिसों की बस्तियों में, करते हो अख़बार क्या
दाग़ दामन भी करेंगे, घर तुम्हारे बैठ कर
दोस्तों की दोस्ती पे करते हो ऐतबार क्या
हाथ तेरे हैं सलामत, पैर भी मज़बूत हैं
तोड़ दो इन पर्बतों को बैठे हो बेकार क्या
चाहते हो चैन से जीना यहाँ पर तुम अगर
जोकरों का सीख लो, होता है किरदार क्या
बांध कर सिर पे कफ़न अब चल पड़ा है आरज़ू
राह में जो भी मिले अब फूल क्या और ख़ार क्या
आरज़ू -ए-अर्जुन
2122..2122..2122..212
हर घड़ी तन्हा सा रहना, दिल में है सरकार क्या
ज़ुल्फ बरहम, आंख भी नम, हो गया है प्यार क्या
लब तेरे खामोश हैं अब, नब्ज़ भी जैसे रूकी
उखड़े उखड़े लग रहे हो खुद से ही तुम यार क्या
ग़ुरबतों की आंधियों में ख़ाब मेरे सब उड़े
देखना है अब उड़ाती ये हवा इस बार क्या
अब यहाँ हर घर की हालत, सुर्खियों सी बन गई
मुफ़लिसों की बस्तियों में, करते हो अख़बार क्या
दाग़ दामन भी करेंगे, घर तुम्हारे बैठ कर
दोस्तों की दोस्ती पे करते हो ऐतबार क्या
हाथ तेरे हैं सलामत, पैर भी मज़बूत हैं
तोड़ दो इन पर्बतों को बैठे हो बेकार क्या
चाहते हो चैन से जीना यहाँ पर तुम अगर
जोकरों का सीख लो, होता है किरदार क्या
बांध कर सिर पे कफ़न अब चल पड़ा है आरज़ू
राह में जो भी मिले अब फूल क्या और ख़ार क्या
आरज़ू -ए-अर्जुन
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