आदाब
122*4
मुहब्बत में रोयें न आंखें यह वर दे
ऐ मौला तू फौलाद का दिल जिगर दे
नहीं दिल में कोई किसे ढूँढता है
समझदार बन जा दरारों को भर दे
मुझे चैन से नींद आती रहे बस
रहूँ आसमां के तले यां तू घर दे
अगर पर को फैलाऊं अंबर से ऊंचा
तो मेरे परों को तू फ़िर से कतर दे
निहत्था चला जा रहा हूँ सितमगर
है मौका मेरे दुश्मनों को ख़बर दे
निवाला हलक से न उतरेगा तेरे
सुबह की तू अख़बार पे जो नज़र दे
वजीरों को मीठा खिलाते हो पागल
वो हैं सांप इनको तू कड़वा ज़हर दे
सदा चल सकूं सिर उठा कर जहाँ में
मुझे ज़िंदगी में तू ऐसी बसर दे
मुहब्बत के मारे हुए 'आरज़ू ' को
दिखा ज़लज़ले तू यां बरपा कहर दे
आरज़ू -ए-अर्जुन
122*4
मुहब्बत में रोयें न आंखें यह वर दे
ऐ मौला तू फौलाद का दिल जिगर दे
नहीं दिल में कोई किसे ढूँढता है
समझदार बन जा दरारों को भर दे
मुझे चैन से नींद आती रहे बस
रहूँ आसमां के तले यां तू घर दे
अगर पर को फैलाऊं अंबर से ऊंचा
तो मेरे परों को तू फ़िर से कतर दे
निहत्था चला जा रहा हूँ सितमगर
है मौका मेरे दुश्मनों को ख़बर दे
निवाला हलक से न उतरेगा तेरे
सुबह की तू अख़बार पे जो नज़र दे
वजीरों को मीठा खिलाते हो पागल
वो हैं सांप इनको तू कड़वा ज़हर दे
सदा चल सकूं सिर उठा कर जहाँ में
मुझे ज़िंदगी में तू ऐसी बसर दे
मुहब्बत के मारे हुए 'आरज़ू ' को
दिखा ज़लज़ले तू यां बरपा कहर दे
आरज़ू -ए-अर्जुन
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