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" बेइंतहां प्यार "

" बेइंतहां प्यार "

एक अंजाना डर सा लगा रहता है
ये दिल बड़ा बेसबर सा रहता है
बड़ी बेचैनी सी  रहती है तुम्हे सोच कर
सब कुछ जानकर भी बड़ा बेखबर सा रहता है
तेरे आसपास रहती है मेरी मुकम्मल दुनिया
तेरे बग़ैर हर एहसास बेअसर सा रहता है
कहाँ छुपाऊँ तुझे इस जहाँ की नज़र से
तू मेरी आँखों में यूँ नज़र सा रहता है
ये जानता भी है के बहुत रुसवाई होगी
फिर भी नादान दिल न समझ सा रहता है
कितने लाजमी बन गए हो तुम जीने के लिए
तेरे पहलू में दिल शामो-सहर सा रहता है
बेइंतहा चाहत है इस दिल में आरज़ू
इसलिए खुद की नज़र से भी दिल, 
डरा डरा सा  रहता है।


आरज़ू-ए -अर्जुन 

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