ग़ज़ल मात्रा :122 122 122 122 रदीफ़ : तो होंगे काफ़िया : ( करते, "ऐ" स्वर ) --------------------------------------------------------------- हमें आज भी याद करते तो होंगें। निगाहों से आँसू बरसते तो होंगें।। कभी चाहतों को छुपाया नहीं था। अभी दिल हि दिल में सुलगते तो होंगे।। वही आइनें हैं वही सूरतें भी। कई सूरतों को बदलते वो होंगें।। लबों से नमीं भी खफ़ा हो गई है। ज़रा सी हसी को तरसते वो होंगें।। किसी रोज़ फिर से मुलाक़ात होगी। हमारे लिये आह भरते वो होंगें।। हमें बारहा मार देने से पहले। कई बार शोलों में जलते वो होंगें।। बड़ी बेरुख़ी से हमें छोड़ आये। हमारे लिये अब मचलते वो होंगें।। अरे 'आरज़ू ' तो दिवाना तुम्हारा। तुम्हारे लिये हम भी मरते तो होंगें।। आरज़ू-ए-अर्जुन Note : इसमें (तो) (हि )और (भी) तीनों लघु स्वर हैं इसलिए उनको मात्रा (1 ) में गिना गया है
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