( कववाली )
मंजूर कर फरियाद बन्दे की ए मौला
आँखों में भर के सवाल लाया हूँ
नवाजता है तू गरीबनावाज़ है मौला
मैं सारे जवाब ढूढ़ने आया हूँ
ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया। ….
जी रहे है तेरे करम सदका
वरना कबके मर जाते हम
ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया
तेरी आँखों से नूर ले कर देखी है हमने दुनिया
तेरे पैरों की धूल लेकर हमने संवारी दुनिया
तेरा गर न हो इशारा कुछ भी न कर ही पाते हम
जी रहे है तेरे करम सदका
वरना कबके मर जाते हम
ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया
हम बोले यां न बोले तू फिर भी जानता है
हम देखे यां न देखे तू सब को देखता है
तू ज़रा नज़र हटाये दुनिया में गम हो जाते हम
जी रहे है तेरे करम सदका
वरना कबके मर जाते हम
ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया
तू सबके दिल में रहता बंदा क्या ढूढता है
तू हर जगह समाया अंजना घूमता है
तेरी हो नज़र सवल्ली तेरे नूर में नहाते हम
जी रहे है तेरे करम सदका
वरना कबके मर जाते हम
ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया (आरज़ू)
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