( ग़ज़ल )
कभी यूँ ही मेरी राहों में आये होते
कभी यूँ ही मेरी आँखों में समाये होते
प्यार हो जाता तुमसे बस यूँ ही होते होते
धडकनों की उलझन में उलझे होते
नज़रों की शर्मों हया में सुलझे होते
प्यार हो जाता तुमसे बस यूँ ही होते होते
करते आईने से हम पहरों तेरी बातें
रंगीन से दिन बेचैन सी होती रातें
प्यार हो जाता तुमसे बस यूँ ही होते होते
मिलते टूटके पर कसक फिर भी होती
कदम लडखडाते फिर वापिस जाते जाते
प्यार हो जाता तुमसे बस यूँ ही होते होते
कभी यूँ ही मेरी राहों में आये होते
कभी यूँ ही मेरी आँखों में समाये होते
प्यार हो जाता तुमसे बस यूँ ही होते होते
(आरज़ू)
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