ए जिंदगी कितने अजीब तेरे है रास्ते
ए जिंदगी ग़म बेशुमार जीने के वास्ते
है कभी खुशिओं के मेले
और कभी तन्हा अकेले
तू हसी को बाटता है
और कभी मुस्कान लेले
कैसी पहेली है यह हर कोई उलझा इसमें
धुंधली ज़मीन है यह धुंधला सा दिखता इसमें
जाये कहा टेढ़े है रास्ते
ए जिंदगी कितने अजीब तेरे है रास्ते
ए जिंदगी ग़म बेशुमार जीने के वास्ते
बागों में बहारे यहाँ
शबनमी फुहारे यहाँ
और कभी शाखों पे मिलते
पतझड़ी अंगारे यहाँ
साहिल पे डूबती है साँसों की कश्तिया
और कभी मिलती है आँखों की मस्तियाँ
जाएँ कहाँ जीने के रास्ते
ए जिंदगी कितने अजीब तेरे है रास्ते
ए जिंदगी ग़म बेशुमार जीने के वास्ते (आरज़ू)
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