" एक धुंदली सी आशा "
फ़र्ज़ और रिश्तों के बीच एक नाज़ुक डोर है
एक सिरा इस तरफ तो दूसरा उस ओर है
फासले बढ़े तो डोर चट्केगी घटे तो उलझेगी
सोचो जरा किस तरह यह पहेली सुलझेगी
कोई अहम् का शिकार कोई वहम का शिकार
अपने अपने हक़ के लिए करते है मारो-मार
कहीं पार्दर्शिता नहीं कई परदे दर्मयाँ आ जाते है
पर्दा उठते ही लोगों के किरदार बदल जाते है
पर है सुकून एकाकी प्यार में भी, तू फ़र्ज़ निभा के देख
यह उलझन सुलझ सकती है, आँखों से परदे हटा के देख
करीब से देखोगे तो हर तस्वीर धुंधली हो जाती है
दूर से देखोगे तो तस्वीर धुंध में कहीं खो जाती है
प्यार को बांधो या रिश्तों को वो दम तोड़ ही देगा
राही हो यां हमराही, एक मोड़ पे लाके छोड़ ही देगा
तुम अकेले ही थे यहाँ अकेले ही चलना पड़ता है
कोई नहीं कूदता आग में, अकेले ही जलना पड़ता है
कर ले तरो-ताज़ा अपने दिल-दिमाग को इसी धुंध में
जला के खुद को कुंदन बन जा इसी अग्निकुंड में
महक उठेंगी तेरी राहें ज़रा इन काँटों को हटा कर तो देख
दिखेगी मंजिल करीब हो यां दूर आँखों से धुंध हटा के देख
यह जिंदगी एक संघर्ष है और अभी ज़िंदा हो तुम
मात देखी होगी कई शूरवीरों की पर चुनिंदा हो तुम
कर अर्जित सभी अस्त्र-शस्त्र अपने ज्ञान के तप से
फूक दे नई स्फूर्ति तन मन में अपने प्रभु के जप से
आंधी तूफ़ान तुम्हे पीछे धकेलेंगी, तू चट्टान बन
दरिया-समंदर तेरा रास्ता रोकेंगी तू पतवार बन
वो जीते होंगे देश तो क्या तू उनके दिलो को जीत
रख दे एक ऐसी मिसाल आगे, करके ऐसी प्रीत
मत होना निराश इस जिंदगी से, इसे जी के तो देख
मौत भी डरती है इन्सां से, इससे नज़रें मिला के तो देख
मत सोच बहुत देर हो गई और पीछे रह गए तुम
जो बीत गई सो बात गई अब आगे चल दो तुम
मंजिल की राह में जो भी मिले उसे कबूल कर
खोज दे रौशन भरी राहें और उसे मकबूल कर
दूर उडती धूल को देख कर तुम ज़रा भी घबराओ न
उसने अपना कर्म किया तुम अपना फ़र्ज़ निभाओ न
खुद को अकेला देख मन को शंका में न डालो तुम
कदमो में साहस भर के राहों को फ़तेह कर डालो तुम
सोच कर विचलित मत होना, यह फासला हटा के देख
मंज़िल खड़ी है सामने ज़रा कदम से कदम मिला के देख ( आरज़ू )
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