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" तसव्वरे आरज़ू "

" तसव्वरे आरज़ू "

ये खामोशियाँ बोलने सी लगी है
हर आती जाती साँस अब कहने सी लगी है
बड़ी हसीं है ये ज़िंदगी गर तुम साथ हो मेरे
बड़ी रंगीन है ये ज़िंदगी गर तुम पास हो मेरे
महसूस करता हूँ मैं तुझे अपने आसपास
आँखे बंद करके जब भी याद करता हु तुझे
तो महकने लगती है मेरी हर साँस
बेचैन सा हो उठता है ये दिल
ज़हन में आते ही तेरा ज़िक्रे ख्याल।

इस दिल के अंजुमन में रौशनी बिखर सी जाती है
जब भी तेरी झुकी सी नज़र को तस्सव्वर करता हूँ
तेरे माथे पे खेलती ये शोखभरी कुछ ज़ुल्फ़ें
लहरा के अपनी अदाओं से रिझाती है मुझे
तुम तो देखती नहीं हो मुझे उस वक्त
मगर ये मेरी बेचैनी का हाले बयान करती होगी ज़रूर
और मत महका करो खुशबु बनके इन फिज़ाओ में
मेरे सिवा और भी सांस लेते हैं हवाओ में

बहुत भटकता हूँ मैं तेरी  खुशबू में दर-बदर
जैसे हिरन कस्तूरी की महक में भटकती है
मगर मैं  जानता हूँ ये महक तुझसे आकर
तुम्ही में कही खत्म हो जाती है शायद

यह जीस्त तुझसे लिपट कर रोना चाहती है
हसना चाहती है तुझमे खोना चाहती है
तेरा बस जन्म जन्म का होना चाहती है
प्यासी रूह पर सावन की तरह बरस जाओ
मेरे सूने दिल के आँगन पर
तुम पायल बनकर छनक जाओ
और इन खामोश लबों पर
एक सरगम बन कर खनक जाओ

आओ मेरे इतने करीब आओ
कि समां लूँ तुझे अपने रोम रोम में
आओ इन बाहों में चले आओ
कि छुपा लूँ इस दुनियाँ की नज़र से
तेरे प्यार के बिना
मैं अधूरा बिखरा हुआ सा हूँ
मोहलत की चंद साँसे है अभी बाकी
इन पलों में मैं पूरी कायनात
को भूल जाना चाहता हूँ
मैं सिर्फ तुझे पाना चाहता हूँ
मैं सिर्फ तेरा हो जाना चाहता हूँ

( आरज़ू)
AARZOO-E-ARJUN

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