" मंजिल की ओर "
हर लम्हा मैं छूट रहा हूँ
दिल ही दिल कुछ टूट रहा हूँ
मैं मंजिल की धुन में साथी
तेरी राहों से रूठ रहा हूँ
ये वक़्त जो गुजरा पूछ रहा है
रह रह कर कुछ सोच रहा है
हम कैसे फिर रह पाएँगे
मुड़ मुड़ पीछे देख रहा है
अब वक़्त नहीं है इन बातों का
क्या मतलब है अब इन रातों का
भूल जाना अब दिन और रातें
एक महल बनाना है ख्वाबों का
न होगा रेशमी साया वहां पर
न होगी मखमली काया वहां पर
होंगे कांटे और पत्थर कुछ
है मुझको अब जाना जहाँ पर
मत देना पीछे से आवाज तुम
मत करना आंसू की बरसात तुम
मैं मंजिल की ओर जा रहा हूँ
समझना आखरी मुलाकात तुम
एक वादा मैंने तुमसे किया है
एक वादा तुमने मुझसे किया है
पाकर मंजिल मैं लौट आऊंगा
इस ख्वाब के संग जो तुमने दिया है
मत डरना मेरी हार को लेकर
मैं आऊंगा अपनी जीत को लेकर
तब देखूंगा मैं ये आंसू तेरे
कैसे होते हैं ख़ुशी को लेकर। . ( आरज़ू )
हर लम्हा मैं छूट रहा हूँ
दिल ही दिल कुछ टूट रहा हूँ
मैं मंजिल की धुन में साथी
तेरी राहों से रूठ रहा हूँ
ये वक़्त जो गुजरा पूछ रहा है
रह रह कर कुछ सोच रहा है
हम कैसे फिर रह पाएँगे
मुड़ मुड़ पीछे देख रहा है
अब वक़्त नहीं है इन बातों का
क्या मतलब है अब इन रातों का
भूल जाना अब दिन और रातें
एक महल बनाना है ख्वाबों का
न होगा रेशमी साया वहां पर
न होगी मखमली काया वहां पर
होंगे कांटे और पत्थर कुछ
है मुझको अब जाना जहाँ पर
मत देना पीछे से आवाज तुम
मत करना आंसू की बरसात तुम
मैं मंजिल की ओर जा रहा हूँ
समझना आखरी मुलाकात तुम
एक वादा मैंने तुमसे किया है
एक वादा तुमने मुझसे किया है
पाकर मंजिल मैं लौट आऊंगा
इस ख्वाब के संग जो तुमने दिया है
मत डरना मेरी हार को लेकर
मैं आऊंगा अपनी जीत को लेकर
तब देखूंगा मैं ये आंसू तेरे
कैसे होते हैं ख़ुशी को लेकर। . ( आरज़ू )
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