पानी की तरह रंगहीन , गंधहीन था आरज़ू
इस दुनियां ने रंग भरे और गन्दा कर दिया ( आरज़ू )
मैं ज़मीन की जड़ से जुड़ा हूँ
आकाश में उड़ना मुझे नहीं आता है
सर उठा कर चलना तो फितरत है मेरी
वरना ! आकाश तो क्षितिज पे झुका नज़र आता है (आरज़ू )
मैं हवा था इस गुलशन में महका सा कहीं, क्या खबर थी ,
सेहरा में जलना भी होगा और तूफनों में चलना भी होगा
एक कशमकश सी रहती है अक्सर अपने वुज़ूद को लेकर,
मेरी वज़ह से उसे बसना भी होगा और उजड़ना भी होगा (आरज़ू )
इतना सोच समझ के फैसले क्यों लेता है तूं ,
लोग फैसला लेके उसे साबित कर देते है आरज़ू ( आरज़ू )
हाथ की लकीरों में क्या ढूंढ़ता था आरज़ू तकदीर तो मुट्ठी में बंद थी
जब देखा उस तकदीर को सामने तो कम्बख्त मेरी साँसें ही चंद थी (आरज़ू )
इस दुनियां ने रंग भरे और गन्दा कर दिया ( आरज़ू )
मैं ज़मीन की जड़ से जुड़ा हूँ
आकाश में उड़ना मुझे नहीं आता है
सर उठा कर चलना तो फितरत है मेरी
वरना ! आकाश तो क्षितिज पे झुका नज़र आता है (आरज़ू )
मैं हवा था इस गुलशन में महका सा कहीं, क्या खबर थी ,
सेहरा में जलना भी होगा और तूफनों में चलना भी होगा
एक कशमकश सी रहती है अक्सर अपने वुज़ूद को लेकर,
मेरी वज़ह से उसे बसना भी होगा और उजड़ना भी होगा (आरज़ू )
इतना सोच समझ के फैसले क्यों लेता है तूं ,
लोग फैसला लेके उसे साबित कर देते है आरज़ू ( आरज़ू )
हाथ की लकीरों में क्या ढूंढ़ता था आरज़ू तकदीर तो मुट्ठी में बंद थी
जब देखा उस तकदीर को सामने तो कम्बख्त मेरी साँसें ही चंद थी (आरज़ू )
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