( मेरी बीवी हाय )
कुछ साल हुए है शादी को, मेरी बर्बादी को,
अब हर साल इसे मनाते है, शोक पे हर्ष दिखाते है
मायूसी न दिख जाये चेहरे पे इसलिए
बीवी के आगे हम मुस्कुराते है
बस तरस गए है आज़ादी को, कुछ साल हुए है शादी को
पहले हाथ पकड़ता था तो सिहर जाती थी
अब हाथ लगाता हूँ तो बिगड़ जाती है
उसके बाद तो शामत ही आ जाती है
आँखे लाल और भृकुटियाँ तन जाती है
कहती है जानते हो भारत की आबादी को, कुछ साल हुए है शादी को
भगवान् की दया से एक बेटा है
जो बीवी के बगल में लेटा है
उसे थपकियाँ देके खुद सो जाती है
और मेरी बत्ती तो जैसे गुल हो जाती है
अब सिर खुजलाते है रात आधी को, कुछ साल हुए है शादी को
सुबह उठो तो घर एक जंग का मैदान है
उसके हाथों में करछी, बेलन का सामान है
रुमाल मोजे कही मिलते नहीं, कौन टोके उसे,
कैसी फसी मुश्किल में जान है
मुह में बोल के रह जाते है " नाश्ता तो दो", कुछ साल हुए है शादी को
अब बेटे को स्कूल छोड़ने जाते है
और वापसी में दूध लेके आते है
इश्क़ लड़ाने कि उम्र में देखो
किस चक्कर में फस जाते है
टोक के मुझको कहती है 'सर्फ़ साबुन के पैसे दो', कुछ साल हुए है शादी को
दिन भर कि कड़ी मशक्कत से जब घर को वापिस आता हूँ
तो बीवी के चंगुल में जैसे मै फिर से फस जाता हूँ
हस कर जब बुलाती है तो और भी घबराता हूँ
सोचता हूँ पहले बटुआ कही छुपा के आता हूँ
लटक जाता है मुह सुबह, देख के बटुए खाली को, कुछ साल हुए शादी को
खामोश बैठे देखकर क्यूट मुझे वो कहती है
मेरे अरमानो को लूट के लिपस्टिक लगाती रहती है
जानती है हम कही फरियाद तो कर सकते नहीं
इसीलिए मुझ अबला पुरुष का वो शोषण करती रहती है
दबी हुई आवाज में देते है अब गाली को, कुछ साल हुए है शादी को
हे भगवन दो आज़ादी , मेरी बीवी को सम्भालो तुम
मेरी जान फसी है चंगुल में उस आतताई से बचा लो तुम
करता हूँ यह वायदा हर संडे दर तेरे आऊंगा
तेरे गोलक में पैसे और लड्डुओं का भोग लगाऊंगा
कहती है मनाले खैर तू बकरे फिर आने दो मेरी बारी को, कुछ साल हुए है शादी को। …
( आरज़ू)
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