(दिशा की तलाश )
परछाइयाँ कभी सहारा नहीं बनती
बस साथ होने का भ्रम देती है
खुद से जुडी कितनी भी लगे चाहे
काली रात में दिखाई कम देती है
मैं गुजरता तो हूँ चांदनी रातों में भी
कभी दाएँ तो कभी बाएं से छल देती है
कोई साथ नहीं तेरे खुद को साथ बनाना सीख ले
हर तरफ भ्रम उभरते, इस भ्रम को भरमाना सीख ले
तूं डर से हर वक़त घबराता है
इस डर को तूं समझ तो सही
कितने काम तू सहज कर जाता है
यह डर ही तो है इसके पीछे कहीं
तू सुन्न है मंजिल की राहों को देख कर
इसी डर की वजह तू पहुचेगा वहीँ
है दोस्त यह डर तेरा इससे दोस्ती करना सीख ले
इस डर कि पेचीदगी को निडरता से हरना सीख ले
तू राह में कही थक जाये तो
क्यों पैरों को दोष देता है
तू चलते चलते फिसल जाये
क्यों राहों को दोष देता है
कभी रह रह कर आँखे भर आये
क्यों हवाओं को दोष देता है
कर राहों से दोस्ती और इनपे चलना सीख ले
समेट कर आंसुओ को हर सपना जीना सीख ले
राह में तू अकेला नहीं चल रहा
कुछ और भी बढ़ते होंगे वहाँ
देख कर उनकी तेज़ रफ़्तार को
मत खुद को तू विचलित बना
चलते दोडते सभी है इस राह पे मगर
मंजिल उसकी जो सही दिशा कि ओर चला
झाँक के अंदर सही दिशा कि तलाश करना सीख ले
दूरी कि परवाह न कर बस गिरना संभलना सीख ले ( आरज़ू)
परछाइयाँ कभी सहारा नहीं बनती
बस साथ होने का भ्रम देती है
खुद से जुडी कितनी भी लगे चाहे
काली रात में दिखाई कम देती है
मैं गुजरता तो हूँ चांदनी रातों में भी
कभी दाएँ तो कभी बाएं से छल देती है
कोई साथ नहीं तेरे खुद को साथ बनाना सीख ले
हर तरफ भ्रम उभरते, इस भ्रम को भरमाना सीख ले
तूं डर से हर वक़त घबराता है
इस डर को तूं समझ तो सही
कितने काम तू सहज कर जाता है
यह डर ही तो है इसके पीछे कहीं
तू सुन्न है मंजिल की राहों को देख कर
इसी डर की वजह तू पहुचेगा वहीँ
है दोस्त यह डर तेरा इससे दोस्ती करना सीख ले
इस डर कि पेचीदगी को निडरता से हरना सीख ले
तू राह में कही थक जाये तो
क्यों पैरों को दोष देता है
तू चलते चलते फिसल जाये
क्यों राहों को दोष देता है
कभी रह रह कर आँखे भर आये
क्यों हवाओं को दोष देता है
कर राहों से दोस्ती और इनपे चलना सीख ले
समेट कर आंसुओ को हर सपना जीना सीख ले
राह में तू अकेला नहीं चल रहा
कुछ और भी बढ़ते होंगे वहाँ
देख कर उनकी तेज़ रफ़्तार को
मत खुद को तू विचलित बना
चलते दोडते सभी है इस राह पे मगर
मंजिल उसकी जो सही दिशा कि ओर चला
झाँक के अंदर सही दिशा कि तलाश करना सीख ले
दूरी कि परवाह न कर बस गिरना संभलना सीख ले ( आरज़ू)
Comments
Post a Comment