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" बाबुल "

" बाबुल "
ओ बाबुल तेरा कैसे करूँ शुक्रिया
ओ बाबुल तूने मुझे जो भी दिया

याद वो आये बचपन की यादें
तेरी मीठी प्यार की बाते
रात सुनाये परियों की कहानी
सो जा मेरी गुड़िया रानी
मेरे लिए फिर माँ को मनाना
बेचैन करें तेरा छुप जाना
बसती थी तुझमें मेरी इक दुनिया
ओ बाबुल तेरा कैसे करूँ शुक्रिया

तेरे अंगना मैं सखियों से खेली
सोचते रहते थे तेरी पहेली
बाँहों का तेरा झूला झुलाना
ऊगली पकड़ कर पढ़ने को जाना
बेमतलब ही यूँ ही रूठ जाना
हाथ जोड़ कर मुझे मनाना
सोच के मेरी छलके री  अखियाँ
ओ बाबुल तेरा कैसे करूँ शुक्रिया

मेरे लिए वो लोगों  की बातें
मेरे लिए तू लोगों को डांटे
देखते थे मेरी शादी के सपने
दुश्मन से जब हो गए थे अपने
तुमने फिर भी फ़र्ज़ निभाया
हो के तनहा मुझे बसाया
छलकी सी अँखियों से करके विदा
ओ बाबुल तेरा कैसे करूँ शुक्रिया.                (  आरज़ू ) 

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"ਖਜੂਰ ਦਾ ਰੁਖ " ( in punjabi)

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