( आरज़ू की कलम से ) बस एक रात की बात है गुजर जाएगी ए दिल ज़रा थोडा ठहर फिर सहर आएगी आँखों से एक आंसू भी छलकने न देना तुझे रोता देख ये दुनिया मुस्कुराएगी होठो को सी लेना आह न निकले कहीं तेरा दर्द सुनके दुनिया तमाशा बनाएगी दिल की गुस्ताखियों को चल माफ़ भी करदे इसके बाद तेरे आँखों की बारी आएगी करना है तो अपने हालात से प्यार करले जाने कल ये कौन सा फलसफा सिखलायेगी है बेदर्द ज़माना या दुनियां का दस्तूर है एक हाथ से देकर दूसरे हाथ लेकर जाएगी है सिसकने से बेहतर चुपचाप दम तोड़ देना ये बेमुर्रवत् दुनिया अपने जशन मनाएगी ( आरज़ू )
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