तिरंगा इतना ख़ून से सींचा तब यह सुकूने आज़ादी मिली है हमको रुख्सत हुए हैं इस यकीन से के जान सौप दी है तुमको, श्रद्धा सुमन करना तुम अर्पित जब भी तिरंगा लहराए यारो, बड़ी सुकून की नींद मिली है जब लिपटा इसमें पाया खुदको ( आरज़ू )
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